संवेदनाएं एक संवेदनशील व्यक्ति पर अपना असर
छोड़ती हैं. इन
संवेदनाओं के अलावा व्यक्ति का अपना अनुभव एवं अध्धयन भी
उसकी अभिव्यक्ति
को परिमार्जित करता है. और यह अभिव्यक्ति साहित्य
की कई विधाओं में प्रतिबिंबित होती है. इनमें सबसे मीठी, हृदयस्पर्शी और सुकुन देनेवाली विधा को भावुक हृदय " ग़ज़ल " कहते हैं.
मैं भी ग़ज़ल कहने का साहस जुटा रहा हूँ. आशा है आपका मार्गदर्शन मिलेगा.
भाषा पर जितनी अच्छी पकड़ , उतनी सुन्दर कला भावों और संवेदनाओं की अभिव्यक्ति की . जिसके पीछे गहन अनुभूति स्वतः झलकती है. तरल भावों से समन्वित प्रशंसनीय ग़ज़ल
भाषा पर जितनी अच्छी पकड़ , उतनी सुन्दर कला भावों और संवेदनाओं की अभिव्यक्ति की . जिसके पीछे गहन अनुभूति स्वतः झलकती है. तरल भावों से समन्वित प्रशंसनीय ग़ज़ल
ReplyDeleteयह मेरी पहली ग़ज़ल है . मैने इसे 1996 में लिखा था . उस समय मुझे ग़ज़ल की कोई जानकारी नहीं थी . मगर इसका एक शे’र आज भी मेरी कई रचनाओं पर भारी है ----
ReplyDeleteचाहा तो कई बार ऐ दिल,तौबा कर लूँ मैकशी से
पर वादें टूटने लगती हैं सामने ज़ाम आते ही
ज़िन्दगी में सही-गलत जानते हुए भी इन्सान सही निर्णय नहीं ले पाता ....सामने ज़ाम आते ही ।